भिलाई. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशानुसार स्वामि स्वरूपानंद महाविद्यालय की यूजीसी समिति, कला संकाय एवं हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वाधान मे आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत विश्व अहिंसा दिवस के अवसर पर गांधीजी की बुनियादी शिक्षा के तहत चरखा चलाना सत्र, ताना-बाना प्रशिक्षण, भजन गायन एवं निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया l
कार्यक्रम की संयोजिका डॉ सावित्री शर्मा ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा की कार्यक्रम को मनाने का उद्देश्य अहिंसा की नीति के जरिए विश्व भर में शांति के संदेश को बढ़ावा देना है l गांधी जी ने अहिंसा के दर्शन के माध्यम से संपूर्ण विश्व से यह आग्रह किया था की वह शांति और अहिंसा के विचार पर अमल करें l कार्यक्रम का शुभारंभ महात्मा गांधी की प्रतिमा को कच्चे सूत की माला पहनाकर किया गयाl महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा महाविद्यालय में ऐसे कार्यक्रम का आयोजन मील का पत्थर साबित होगा क्योंकि यह गांधी जी के कथन को चरितार्थ करता है l चरखा में बड़ी ताकत है और वह ताकत अहिंसा की ताकत है l हमें गांधी जी के विचारों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए l उन्होंने महात्मा गांधी के कथन को उद्वृत करते हुये कहा कि चरखा इस बात की सबसे खरी कसौटी है कि हमने अहिंसा की भावना को कहां तक आत्मसात किया है l चरखा भारत में रहने वाले सभी धर्मावलंबियों को एक सूत्र में बांधती है l जहां एक और गांधीजी के लिए चरखा आपसी सौहार्द्र को कायम करने का रास्ता है तो दूसरी और यह गांव और गरीब से जुड़ने का जरिया भी है l
महाविद्याल की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा कि गांधीजी सत्याग्रह के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे l उनकी इस अवधारणा की नींव संपूर्ण अहिंसा के सिद्धांत पर रखी गई थी, जिसने भारत को आजादी दिला कर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतंत्रता के प्रति आंदोलन के लिए प्रेरित किया l वास्तव में गांधी जी के चरखा दर्शन के पीछे सेवा का भाव था l उनका चरखा एक वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था का प्रतीक भी था, विशेष रुप से महिलाओं की आर्थिक स्थिति के लिए भी और उनकी आजादी के लिए भी l चरखा ने गांधी जी के बुनियादी शिक्षा के स्वावलंबन शब्द को चरितार्थ किया l अहिंसा की नीति के जरिए विश्व भर में शांति संदेश को बढ़ावा देने एवं गांधी जी के योगदान महत्ता को सराहने के लिए ही उनके जन्मदिवस को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है. वर्तमान में अहिंसा और शांति संपूर्ण विश्व में अत्यंत आवश्यक हैl इस अवसर पर चरखा चलाने के सत्र एवं ताना-बाना प्रशिक्षण का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया. महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के विद्यार्थियों द्वारा चरखा चलाया गया एवं उन्हें ताना-बाना प्रशिक्षण दिया गया l इस सत्र का संचालन शिक्षा विभाग की सहायक प्राध्यापिका उषा साहू के द्वारा किया गया विद्यार्थियों के लिए नवीन अनुभव उत्साहवर्धक रहा l भजन प्रतियोगिता में विद्यार्थियो ने गांधी जी के प्रिय भजनो का दो मिनट का विडियो बनाकर प्रेषित किया|महाविद्यालाय की सहायक प्राध्यापिका डॉ. सुपर्णा श्रीवास्तव के साथ विद्यार्थियों ने महात्मा गाँधी जी के प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेने कहिए की सामूहिक प्रस्तुति दी | हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ सुनीता वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया तथा निबंध एवं भजन गायन प्रतियोगिता के परिणाम घोषित किए| निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान- यशस्वी सिंह, बीबीए पचम सेमेस्टर, द्वितीय स्थान- बीए तृतीय सेमेस्टर सोहेल खान, तृतीय स्थान- अंजली, बीबीए प्रथम सेमेस्टर रही| भजन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान- दामिनी रावटे- बीएड तृतीय सेमेस्टर , द्वितीय स्थान- श्याम सुन्दर पटनायक, एमएड तृतीय सेमेस्टर |