प्रेस कांफ्रेंस में कहा- हाई कोर्ट के फैसलों से तत्कालीन भूपेश सरकार पर भाजपा के आरोप स्थापित
– अनिल टुटेजा और अन्य के विरुद्ध आए हाई कोर्ट के फैसलों के बारे में क्यों चुप्पी साधे बैठे हैं भूपेश बघेल
-हाई कोर्ट के फैसलों से ये स्पष्ट कि शराब घोटाला संगठित अपराध का मामला है, जिसे जांच एजेंसियों द्वारा तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने की जरूरत
दुर्ग। शराब घोटाले को लेकर पिछले दिनों आए उच्च न्यायालय बिलासपुर के फैसले को लेकर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता, पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं विधायक अजय चंद्राकर ने दुर्ग जिला भाजपा कार्यालय में प्रेसवार्ता की। अजय चंद्राकर ने कहा कि अनिल टुटेजा एवं अन्य के विरुद्ध आए हाईकोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले में कांग्रेस की तात्कालीन सरकार द्वारा किए घोटाले की कलई एक बार और खोल दी है। इस फ़ैसले से भाजपा द्वारा इन अपराधियों के विरुद्ध लगाए गए सभी आरोपों की एक बार फिर से पुष्टि हुई है।
अजय चंद्राकर ने कहा कि बिलासपुर उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं में छह याचिकाएं ईडी के खिलाफ, जबकि सात याचिकाएं ईओडब्ल्यू व एसीबी के खिलाफ दायर की गई थी। याचिकाओं में दो हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाला मामले में ईडी की पुनः की जा रही कार्यवाही और ईओडब्ल्यू व एसीबी की ओर से दर्ज एफआइआर को चुनौती देते हुए उन्हें ख़ारिज करने की मांग की थी। कोर्ट ने अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा, यश टुटेजा, अरूणपति समेत अन्य आरोपियों द्वारा जांच एजेंसियों के खिलाफ दायर कुल 13 याचिकाओं को एक साथ ख़ारिज कर दिया है। अपने आदेश में माननीय उच्च न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर यह कहा है कि एक संगठित अपराध की तरह इस घोटाले को अंजाम दिया जा रहा था, ऐसा लग रहा है।
अजय चंद्राकर ने आगे कहा कि न्यायालय ने ईडी, एसीबी, ईओडब्लू आदि की जांच आदि के काम में किसी भी तरह की अनियमितता के तमाम आरोपों को ख़ारिज कर दिया है, इससे यह एक बार फिर यह साबित हुआ है कि कांग्रेस अपने अपराधों को छिपाने के लिए लगातार एजेंसियों पर हमलावर थी। श्री चंद्राकर ने आगे कहा कि माननीय न्यायालय ने साफ-साफ यह कहा है कि ईडी, ईओडबलू और एसीबी ने अपने-अपने कार्यक्षेत्र के अनुसार ही अलग-अलग कारवाईयाँ की है इस पर। अभियुक्तों द्वारा लगाए सभी आरोपों को ख़ारिज करते हुए, एफआइआर/ईसीआइआर रद्द करने के सभी माँगों को कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है।
अजय चंद्राकर ने बताया कि एसीबी / ई ओ डब्ल्यू द्वारा दिनांक 17.01.2024 को पूर्ववती कांग्रेस सरकार के समय राज्य में हुए शराब घोटाले के संबंध में FIR दर्ज कर विवेचना प्रारंभ किया गया था। FIR के अनुसार आबकारी विभाग की मुख्य जिम्मेदारियां शराब की आपूर्ति को विनियमित करना, जहरीली शराब की त्रासदियों को रोकने के लिए उपयोगकर्ताओं को गुणवत्तापूर्ण शराब सुनिश्चित करना और राज्य के लिए राजस्व अर्जित करना है। लेकिन अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा के नेतृत्व वाले आपराधिक सिंडिकेट ने इन उद्देश्यों पर पानी फेर दिया है। उन्होंने शराब नीति को अपनी सनक और पसंद के अनुसार व्यवस्थित रूप से बदल दिया है और अपने लिए अधिकतम व्यक्तिगत लाभ उठाया है। चंद्राकर ने कहा कि सीएसएमसीएल को एक अच्छे उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था लेकिन राज्य सरकार में बदलाव के कारण सीएसएमसीएल का प्रबंधन बदल गया और यह सिंडिकेट के हाथों में एक उपकरण बन गया, जिसने इसका इस्तेमाल समानांतर व्यवस्था को लागू करने के लिए किया। इस सिंडिकेट में राज्य के वरिष्ठ नौकरशाह, राजनेता, उनके सहयोगी और उत्पाद शुल्क विभाग के अधिकारी शामिल हैं। फरवरी, 2019 में, अरुणपति त्रिपाठी (आईटीएस अधिकारी) को सीएसएमसीएल का नेतृत्व करने के लिए सिंडिकेट द्वारा चुना गया था और बाद में, मई, 2019 में, अनवर ढेबर के आदेश पर उन्हें संगठन का प्रबंध निदेशक बनाया गया था। साजिश के हिस्से के रूप में, अरुणपति त्रिपाठी को मेसर्स सीएसएमसीएल द्वारा खरीदी गई शराब पर एकत्रित रिश्वत कमीशन को अधिकतम करने और सीएसएमसीएल द्वारा संचालित दुकानों के माध्यम से गैर-शुल्क भुगतान वाली शराब की बिक्री के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का काम सौंपा गया था।
ई ओ डब्ल्यू की जांच के दौरान, यह पता चला है कि छत्तीसगढ़ राज्य में एक आपराधिक सिंडिकेट काम कर रहा था जो शराब की बिक्री में अवैध कमीशन वसूल रहा था और सरकारी शराब की दुकानों के माध्यम से बेहिसाब शराब की अनाधिकृत बिक्री में भी शामिल था। अनुमान है कि संदिग्धों द्वारा लगभग 2161 करोड़ रुपये की अपराध आय अर्जित की गई है, जांच से पता चला है कि सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ राज्य में 3 अलग-अलग तरीकों से शराब की बिक्री से अवैध धन एकत्र किया है।
ई ओ डब्ल्यू द्वारा दर्ज एफआईआर और विवेचना को चुनौती देते हुए अनिल टूटेजा, यश टूटेजा,अनवर ढेबर, अरूणपति त्रिपाठी, निरंजन दास, नीतेश पुरोहित आदि द्वारा हाई कोर्ट में पिटीशन फाइल की गयी थी। हाईकोर्ट ने उन याचिकाओ पर सुनवाई करते हुए 10.07.2024 आदेश सुरक्षित रखा था। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र अग्रवाल की डिवीज़न बेंच ने अपने आदेश दिनांक 20.08.2024 द्वारा आरोपियों द्वारा दायर सभी याचिकाओ को ख़ारिज कर दिया। माननीय नयायलय द्वारा यह कहा गया है, कि संबंधित एफआईआर के अवलोकन से, यह नहीं कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई भी प्रथम दृष्टया अपराध का खुलासा नहीं किया गया है। इसके अलावा, जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री से पता चलता है कि अभियुक्तों/याचिकाकर्ताओं द्वारा किए गए अपराधों की प्रकृति से राज्य के खजाने को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है और अपराध की अनुमानित आय लगभग रु. 2161 करोड़. है, एफआईआर में नौकरशाहों, राजनेताओं, व्यापारियों और अन्य व्यक्तियों सहित 70 नामित व्यक्ति हैं और वर्तमान में यह एक संगठित अपराध का मामला है, जिसे जांच एजेंसियों द्वारा तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने की जरूरत है। राज्य पुलिस प्रतिवादी राज्य/एसीबी ईओडब्ल्यू या ईडी की कोई भी कार्रवाई पीएमएलए के किसी भी प्रावधान के उल्लंघन या सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित किसी भी आदेश का उल्लंघन नहीं पाई गई है।
अजय चंद्राकर ने कहा कि सवाल केवल शराब घोटाले का ही नहीं है, इसी तरह कोयला घोटाले से लेकर हाल के बलौदाबाजर उपद्रव तक जिसमें आरोपी कांग्रेस विधायक की जमानत याचिका भी खारिज करते हुए देवेंद्र यादव को सात दिन के न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता एवं विधायक अजय चंद्राकर ने आगे कहा कि इससे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री की करीबी अफ़सर सौम्या चौरसिया पर तो सर्वोच्च अदालत ने ज़मानत मांगने पर उल्टे एक लाख रुपया का जुर्माना भी लगा दिया था। इससे अधिक पुख़्ता और क्या-क्या साक्ष्य चाहिए यह साबित करने के लिए कि कांग्रेस कि तात्कालीन सरकार ने अपने सिपहसालारों के माध्यम से न केवल छत्तीसगढ़ को जमकर लूटा बल्कि पूरी कांग्रेस सरकार एक अंडरवर्ल्ड और माफिया जैसा चल रही थी। एक मोटे आकलन के अनुसार पचास हज़ार करोड़ से अधिक का घोटाला अपने पांच सालों के शासन में कांग्रेस ने किया। इसका सरग़ना निस्संदेह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल थे, जिन्हें एजेंसियों ने पोलिटिकल मास्टर’ कहा है।
भाजपा प्रवक्ता चंद्राकर ने कहा कि इस फ़ैसले से सबक लेते हुए कांग्रेस को चाहिए कि अनावश्यक रूप से भाजपा पर, जांच एजेंसियों पर, माननीय न्यायालय तक के खिलाफ विषवमन करना छोड़ कर मुक़दमों का सामना करें। प्रदेश की जनता के संसाधनों को लूट कर दस जनपथ का एटीएम बन जाने की सजा कांग्रेस को अवश्य मिलेगी, कोई भी हथकंडा कांग्रेसी अपराधियों को बचा नहीं सकती है। लाख अराजकता फैला ले कांग्रेस, किंतु क़ानून के हाथ इनके शिकंजे तक पहुँचे बिना नहीं रहेगी। जनता को न्याय दिलाने, उनके संसाधनों को लूटने वालों को जेल के सीखचों के पीछे पहुँचने से जॉर्ज सोरोस या राहुल गांधी समेत दुनिया को कोई ताक़त उन्हें रोक नहीं सकती।
प्रेस वार्ता में भाजपा जिला अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा, विधायक ललित चंद्राकर,विधायक गजेंद्र यादव, महामंत्री सुरेंद्र कौशिक, उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार पाध्ये, दिलीप साहू, मीडिया प्रभारी राजा महोबिया, सोशल मीडिया प्रभारी रजनीश श्रीवास्तव, सह प्रभारी नारायण दत्त तिवारी उपस्थित रहे।