जनता ने दिखाई जागरुकता: इस बार आपराधिक मामले वाले विधायक 15 % कम

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-क्या क्राइम फ्री डेमोक्रेसी की तरफ बढ़ रहा छत्तीसगढ़ !

मतदाताओं द्वारा दिया गया यह मैंडेट क्या राजनीतिक दलों को भी इस दिशा में सोचने बाध्य करेगा ?

दुर्ग। जैसे की हम सभी जानते हैं कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के परिणाम आ चुके हैं। प्रदेश की 90 सीटों में से 54 सीटों में भाजपा, 35 में कांग्रेस और 1 में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को जीत मिली है। प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने जा रही है। इस बीच एसोसिशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) व छत्तीसगढ़ इलेक्शन वॉच ने एक नई रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के विश्लेषण में एक अच्छी बात निकल कर सामने आ रही है और वह यह है कि पिछली बार की तुलना में इस बार आपराधिक मामले वाले विधायकों की संख्या में 15 प्रतिशत की कमी आई है। यानी इस बार छत्तीसगढ़ विधानसभा में ऐसे विधायक कम पहुंचे हैं जिन पर किसी न किसी तरह का आपराधिक मामला है। जानकारों की मानें तो यह जनता यानी मतदाता की जागरुकता से हो पाया है। वहीं कुछ एक राजनीतिक पार्टियों को छोड़ दिया जाए तो बाकि सभी ने आपराधिक मामलों वाले प्रत्याशियों को उतरने में थोड़ी कोताही भी इस बार बरती है।


एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में छत्तीसगढ़ की 90 सीटों में से 27 प्रतिशत यानी 24 सीटों में आपराधिक मामले वाले प्रत्याशी जीत कर आए थे, 2023 में यह आंकड़ा 19 प्रतिशत यानी 17 प्रतिशत सीटों तक गिरा। वहीं गंभीर आपराधिक मामलों की बात की जाए तो 2018 में 14 प्रतिशत यानी 13 सीटों पर ऐसे प्रत्याशी जीते थे, 2023 में यह आंकड़ा 7 प्रतिशत यानी 6 सीटों पर सिमट गया है। मतलब पिछली बार की तुलना में आधी सीटों पर ऐसे प्रत्याशी जीते हैं जिनपर गंभीर आपराधिक मामले हैं। राजनीतिक पार्टियों के आधार पर बात करें तो भाजपा के 54 विजयी प्रत्याशियों में से 12 यानी 22 प्रतिशत पर आपराधिक मामले और 4 यानी 7 प्रतिशत पर गंभीर आपराधिक मामले हैं। इसी प्रकार कांग्रेस के 35 विजयी प्रत्याशियों में से 5 यानी 14 प्रतिशत पर आपराधिक मामले और 2 यानी 6 प्रतिशत पर गंभीर आपराधिक मामले हैं।


राजनीतिक दलों का कुछ खास नहीं बदला रवैय्या :-


राजनीतिक पार्टियों ने इस बार के चुनाव में भी ऐसे प्रत्याशी उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ी जिनपर आपराधिक मामले हैं। पिछली बार की तुलना में किसी ने कम तो किसी ने ज्यादा ऐसे प्रत्याशी उतारे हैं जिन पर आपराधिक मामले हैं, पर उतारा जरुर है। हालांकि पिछली बार की तुलना में आपराधिकमामले वाले प्रत्याशियों में 1 प्रतिशत और गंभीर आपराधिक मामले वालों में 2 प्रतिशत की कमी जरुर देखी गई है। 2018 में सभी राजनीतिक पार्टियों व निर्दलयी उम्मीदवारों को मिलाकर 12 प्रतिशत प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले और 8 पर गंभीर आपराधिक मामले थे। वहीं 2023 के चुनाव में 11 प्रतिशत प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले और 6 पर गंभीर आपराधिक मामले हैं। अगर राजनीतिक पार्टियों के आधार पर बात करें तो इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 19% आपराधिक व 9% गंभीर आपराधिक, कांग्रेस ने 17% आपराधिक व 8% गंभीर आपराधिक, बहुजन समाज पार्टी ने 5% आपराधिक व 3% गंभीर आपराधिक, आम आदमी पार्टी ने 30% आपराधिक व 13% गंभीर आपराधिक, जनता कांग्रेस (जे) ने 18% आपराधिक व 8% गंभीर आपराधिक मामले वाले प्रत्याशी चुनाव में उतारे थे।

एडीआर के बारे में :-
एसोसिशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) एक गैर सरकारी संगठन है। एडीआर भारतीय चुनाव आयोग की वेबसाइट पर प्रत्याशियों द्वारा दिए गए शपथ पत्र के आधार पर जानकारी एकत्रित करता है और उनका विश्लेषण कर रिपोर्ट जारी करता है। छत्तीसगढ़ इलेक्शन वॉच के कोर्डिनेटर गौतम बंदोपाध्याय ने बताया कि एडीआर का उद्देश्य प्रत्याशियों से संबंधित जानकारी साझा कर मतदाताओं को जागरुक करना और लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने प्रयास करना है। जिससे कि देश में स्वस्थ व स्वच्छ लोकतंत्र की स्थापना हो सके। गौतम बंदोपाध्याय ने इस बार के चुनाव परिणाम के संदर्भ में कहा कि मतदाता अब जागरुक हो रहे हैं, उनकी चेतना अब जाग चुकि है। इसी का परिणाम है कि इस बार छत्तीसगढ़ में आपराधिक मामलों वाले कम विधायक चुन कर विधानसभा पहुंचे हैं।


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