– अमोघ गायत्री महायज्ञ से आश्रम में अलौकिक वातावरण
– दुर्ग जिले के अलावा अन्य जिलों से पहुंचे श्रद्धालु
– यज्ञस्थल के बाहर तक लगा रहा श्रद्धालुओं का रेला
दुर्ग। दुर्ग जिले के ग्राम निकुम में स्थित तीर्थराज देवि निकुंभला, राजलक्ष्मी मंदिर, जय शक्ति आश्रम, माताजी निवास में अमोघ गायत्री महायज्ञ का आयोजन हुआ। इस अद्भुत महायज्ञ का साक्षी बनने दूर-दूर से श्रद्धालु आश्रम पहुंचे और इसमें शामिल हो कर महायज्ञ का पुण्यलाभ प्राप्त किया। नवरात्र के पावन पर्व पर 15 से 23 अक्टूबर तक आयोजित अमोघ गायत्री महायज्ञ में प्रतिदिन सुबह 11 से 1 बजे तक यज्ञाहुति दी गई। आश्रम प्रमुख संतश्री माताजी के मार्गदर्शन में दो घंटे तक मंत्रोच्चारण कर पूरे विधि-विधान के साथ सभी देवी-देवताओं की आराधना की गई। संतश्री माताजी के मुखारविंद से अमोघ गायत्री महायज्ञ की महत्ता जानने का अवसर श्रद्धालुओं को प्राप्त हुआ है। आश्रम प्रमुख संतश्री माती ने कहा कि ‘तु वान्छाकल्पद्रुम’ अर्थात अमोघ गायत्री महायज्ञ में देवि की अमोघ शक्तियों का वर्णन है। उन्होंने आगे कहा कि देवि के गुणों व शक्तियों का वर्णन कदापि नहीं किया जा सकता, वह तो अनंत है, अवर्णननीय है। जिस तरह प्रभु श्रीराम का तरकश अमोघ था, वह कभी खाली नहीं होता था और उसमें एक से बढ़कर एक ऐसे प्रभावशाली बाण थे कि रावण की नाभि में छिपा अमृत कलश भी भेद दिया। इसी प्रकार देवी मां की शक्तियां भी अमोघ है। देवि मां सभी प्रकार के रोग, शोक, दुख, दरिद्रता का नाश करने वाली है। संतश्री माताजी के श्रीमुख से अमोघ गायत्री महायज्ञ की महत्ता सुनने श्रद्धालुओं का अभूतपूर्व उत्साह देखने को मिला। आस्था इतनी अधिक रही कि यज्ञ स्थल के बाहर तक भक्तों का रेला लगा रहा। आश्रम में पूरे दिन भक्तों का विशाल जनसमूह उपस्थित रहा और भक्तिपूर्ण वातावरण में इस नवरात्र को सभी पूरे उत्साह के साथ धूम-धूम से मनाए।
उल्लेखनीय है कि तीर्थराज देवि निकुंभला, राजलक्ष्मी मंदिर, जय शक्ति आश्रम निकुम, माताजी निवास में अनवरत चलने वाले अध्यात्मिक व धार्मिक आयोजनों की श्रृंखला में इस क्वांर नवरात्र अमोघ गायत्री महायज्ञ का भव्य आयोजन किया गया। इसमें दुर्ग सहित अन्य जिलों से आए भक्तगण भी शामिल हुए और अपनी-अपनी आस्था के अनुसार सभी ने महायज्ञ और संतश्री माताजी का दर्शनलाभ लिया। किसी ने गाजे-बाजे साथ पहुंचकर देवी माता को चुनरी चढ़ाई तो किसी ने श्रीफल व श्रृंगार का सामान चढ़ाकर आर्शीवाद प्राप्त किया। आसपास के गांवों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तिमयी धूनों में नाचते-गाते पहुंचे और अपनी आस्था को प्रकट किया।
महाअष्टमी पर कांदा भाजी का प्रसाद:-
महाअष्टमी के दिन कांदा भाजी का विशेष महत्व है। इसे ध्यान में रखते हुए आश्रम में आने वाले सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरुप भोजन में कांदा भाजी की सब्जि दी गई। संतश्री माताजी ने बताया कि रामचरित मानस में भी कांदा भाजी का उल्लेख है। जब राम-रावण युद्ध के दौरान मुर्छित लक्षमण के उपचार के लिए हनुमानजी संजीवनी बूटी लेकर लौट रहे थे तब भरत ने उन्हें असुर समझ कर बाण चला दिया। इससे हनुमान जी मुर्छित हो कर नीचे गिर गए। उन्हें रामनाम का जाप करते हुए देख भरत को अपनी गलती का अहसास हुआ। फिर भरत ने कांदा भाजी की पत्ती पर प्रभु श्रीराम के नाम संदेश भेजा। क्योंकि कांदा भाजी पर ओस की बूंद नहीं रुकती है और इससे लिखावट खराब नहीं होती। वह दिन महाष्टमी का ही दिन था।
108 किलो दूध से रुद्राभिषेक:-
महाष्टमी के अवसर पर आश्रम के मंदिर में भगवान वीरभद्र का 108 किलो दूध से महाभिषेक किया गया। आश्रम प्रमुख संतश्री माताजी के सौजन्य से दूध और पुष्प व बेलपत्र की व्यवस्था की गई थी। सभी भक्तों को शिवलिंग में चढ़ाने के लिए पूजन सामग्री उपलब्ध कराई गई। भक्तगणों ने पूजा-अर्चना कर भगवान वीरभद्र का आशीर्वाद प्राप्त किया।
ब्राह्मण बली नहीं दे सकते:-
संतश्री माताजी ने कहा कि देवी को प्रसन्न करने के लिए पशु बली देने की परंपरा रही है। ब्राह्मण बली नहीं दे सकते इसलिए वे उड़द दाल व दही के माध्यम से पूजा पद्धति को पूरा करते हैं। बली देने का अधिकार क्षत्रीय, वैश्य व शुद्र को प्राप्त हुआ है।
राजसूय महायज्ञ के साथ होगा निकुंभला देवि मंदिर व नगरी निर्माण कार्य का शुभारंभ:-
संतश्री माताजी ने बताया कि निकुम में तीर्थराज देवि निकुंभला मंदिर व नगरी निर्माण कार्य किया जाएगा। इसके लिए 4 एकड़ मंदिर, 7 एकड़ परकोटा, 25 एकड़ परिसर भूमि की आवश्यक्ता है। लागत एक लाख एक हजार करोड़ रुपए होगी। इसी उद्देश्य को लेकर उनके द्वारा अनवरत प्रयास किया जा रहा है। चैत्र नवारात्रि 2024 में पशुपति महायज्ञ व क्वांर नवारत्रि 2024 में भगवती दुर्ग महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद 2025 में राजसूय महायज्ञ का आयोजन होगा जिसके साथ ही तीर्थराज देवि निकुंभला मंदिर व नगरी निर्माण कार्य का शुभारंभ किया जाएगा।