-पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजन पीठ का आयोजन
भिलाई। पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजन पीठ द्वारा इंडियन कॉफी हाउस सभागार सेक्टर 10 में पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की 129 वी जयंती का एक दिवसीय समारोह का आयोजन किया गया। आयोजन के प्रथम सत्र में ‘समकालीन कथा संसार और बख्शी जी की कहानियां ‘विषय पर परिचर्चा तथा द्वितीय सत्र में काव्य गोष्ठी आयोजित की गई । प्रथम सत्र में ऋषि गजपाल ने कहानी ‘दरख्त की दरगाह ‘और कैलाश बनवासी ने कहानी ‘संतरे ‘ का पाठ किया। इस अवसर पर प्रमुख वक्तव्य देते हुए कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय भिलाई के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ सुधीर शर्मा ने कहा कि बख्शी जी ने हर विधा पर लेखन किया। बाल कहानियों से लेकर निबंध,उपन्यास ,कहानी, संस्मरण आदि। उन्होंने बक्शी जी के हवाले से कहा कि कब कहानी निबंध बन जाए और निबंध कब कहानी का रूप ले ले कुछ कहा नहीं जा सकता। लेखन समाप्ति के पश्चात लगभग समन्वय की स्थिति निर्मित हो जाती है। उन्होंने बक्शी और पंडित माधवराव सप्रे की साहित्यिक पत्रकारिता और साहित्य लेखन में योगदान को रेखांकित करते हुए अनेक उदाहरणों के माध्यम से आगामी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्पद बताया। साथ ही ऋषि गजपाल और कैलाश बनवासी की कहानी के घटनाक्रमों ,पात्रों ,कथोपकथन और कथानक को समूचे छत्तीसगढ़ के परिदृश्य को रूपायित करने वाला बताया। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ नलिनी श्रीवास्तव ने कहा कि बख्शी जी हिंदी ,संस्कृत, अंग्रेजी और बांग्ला भाषा के अच्छे जानकार थे। उनका दौर लगभग अनुवादों का दौर था। सन् 1911 में प्रकाशित जयशंकर प्रसाद की कहानी ‘ग्राम’ को हिंदी की प्रथम कहानी मानते हैं, इसके बाद रामचंद्र शुक्ल की कहानी ’11 वर्ष ‘ आई। तत्पश्चात प्रेमचंद सुदर्शन आदि की कहानियां हिंदी में प्रकाशित हुई। किंतु वह काल अनुवादों का ही था । उन्होंने बक्शी जी की अगर, मृत्यु का उपहास ,खिलौना ,कनक रेखा आदि कहानियों की चर्चा करते हुए आशा व्यक्त की कि आगामी पीढ़ी के रचनाकारों के लिए यह कहानियां मार्गदर्शक साबित होंगी।
अध्यक्षीय उद्बोधन में बख्शी सृजन पीठ के अध्यक्ष ललित कुमार ने कहा कि छायानुवाद के दौर को कहानी, निबंध, उपन्यास आदि के युग की ओर अग्रसर करने में बख्शी जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है । उन्होंने कहा कि हम बख्शी जी के व्यक्तित्व की चर्चा तो करते हैं, पर कृतित्व की नहीं, सृजन पीठ उनके कृतित्व पर केंद्रित चर्चा करने संकल्पित है। पिछले दिनों निबंध पर, अब कहानी तथा आगामी दिनों में बाल साहित्य ,उपन्यास आदि पर भी चर्चा की जाएगी। आयोजन में कहानी पाठ करने वाले ये दो रचनाकार बख्शी जी की परंपरा को आगे बढ़ाएंगे, ऐसी अपेक्षा है। प्रथम सत्र का संचालन अनीता करडेकर ने किया।
द्वितीय सत्र में काव्य पाठ हुआ ,कवि कमलेश्वर साहू के संचालन में प्रदीप श्रीवास्तव भिलाई ,सतीश कुमार सिंह जांजगीर ,समय लाल विवेक कवर्धा ,डॉक्टर सरिता दोशी धमतरी ,माँझी अनंत राजिम, अजय चंद्रवंशी कवर्धा के बाद बख्शी सृजन पीठ के अध्यक्ष ललित कुमार की चुनी हुई कविताओं के पाठ से कविता का सत्र समाप्त हुआ।
इस एक दिवसीय आयोजन के पूर्व भिलाई के सैक्टर -9 स्थित बख्शी सृजन पीठ में बख्शी सृजन पीठ के अध्यक्ष ललित कुमार तथा वरिष्ठ साहित्यकार डॉ नलिनी श्रीवास्तव ने बख्शी जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम के अंत में आभार व्यक्त कवयित्रि शुचि ‘भवि’ ने किया।
आयोजन में प्रमुख रूप से रवि श्रीवास्तव, विजय वर्तमान, विनोद साव, प्रदीप वर्मा ,इंदु शंकर मनु ,संतोष झाँझी,विद्या गुप्ता, मुमताज ,त्र्यंबक राव साटकर ,शरद कोकास ,प्रदीप भट्टाचार्य ,पुन्नू यादव ,हरी सेन, शेफाली भट्टाचार्य ,सुरेश बंछोर, एन.एल.मौर्य प्रीतम ,नरेश विश्वकर्मा ,हितेश साहू ,सनत मिश्रा के अलावा बड़ी संख्या में विद्वत्जन उपस्थित थे।