– शिशु रोग विभाग की टीम ने वह कर दिखाया जो प्रदेश के बड़े-बड़े अस्पताल नहीं कर पाए
दुर्ग। जिला अस्पताल के शिशु रोग विभाग की टीम ने वह कर दिखाया जिसके लिए अन्य अस्पतालों ने हाथ खड़े कर दिए थे या फिर इलाज के इतने पैसे मांग रहे थे जो मरीज के परिजनों के लिए दे पाना असंभव था। नवजात शिशु के परिवार के लिए भगवान की तरह प्रकट हुए जिला अस्पताल के स्टाफ ने न सिर्फ गंभीर रुप से बिमार शिशु का नि:शुल्क इलाज किया बल्कि उसे पूर्ण रुप से स्वस्थ कर अस्पताल से डिस्चार्ज किया। अस्पताल स्टाफ के इस सेवाभाव के लिए समाजसेवी संस्था ‘जन समर्पण सेवा सँस्था’ दुर्ग आभार व्यक्त किया है।
जन समर्पण संस्था के योगेंद्र शर्मा (बंटी) ने बताया कि दुर्ग निवासी चंदन सिंह और कविता सिंह के 1 माह के शिशु तनुज सिंह इंफेक्शन की वजह से गंभीर हालत में पहुंच गया था। परिजनों ने बच्चे का पूरे प्रदेश की अलग अलग हॉस्पिटल में जांच करवाया लेकिन कही से भी इलाज न मिलने एवं बहुत अधिक खर्च हो जाने के बाद माता-पिता उसे जिला चिकित्सालय लेकर आए। तब उनको यकीन नही था कि बड़े से बड़े हॉस्पिटल में जिस बीमारी का इलाज नही हो सका, वह बीमारी का सही इलाज जिला चिकित्सालय में मिलेगा। क्योंकि बच्चे की स्तिथि देखकर सभी डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था। बच्चे का बचना नामुनकिन है यह सुनकर माँ बाप को बहुत दुखी और परेशान थे। अखिरि उम्मीद लिए जब परिजन बच्चे को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे तो उसके पूरे शरीर मे इंफेक्शन फैल चुका था, सांस लेने में भी बहुत दिक्कत थी, दिमाग में इंफेक्शन हो जाने के कारण बच्चे को झटके भी आ रहे थे। लेकिन जिला चिकित्सालय के शिशु रोग विभाग के एचओडी डॉ. रजनीश मल्होत्रा, डॉ. हेमंत कुमार साहू, डॉ. सीमा जैन, डॉ. वाई. किरण कुमार व स्टाफ ने अपने अथक प्रयास ने न सिर्फ बच्चे का समुचित उपचार किया बल्कि उसे स्वास्थ कर जीवन दान भी दिया।
डॉक्टरों की टीम ने सबसे पहले बच्चे को जिला चिकित्सालय के एसएनसीयू में भर्ती किया और तत्काल सभी जांच करके बच्चे का इलाज चालू किया। इसके लिए बच्चे के शरीर मे अलग अलग स्थानों में चीरा लगाकर पहले पूरे इन्फेक्शन से भरे हुए पस को बाहर निकाला गया। बच्चे के शरीर मे न्युमोथोरेक्स भी हो गया था, जिसे छाती में नीडल डालकर ड्रेन किया गया। 22 दिनों तक बच्चे को डॉक्टरों की पूरी निगरानी में रखा गया। इस दौरान हर 2 दिन में बच्चे के शरीर से पस (मावाद) निकाल कर उसे दवाई एवं इंजेक्शन दिया गया। डॉक्टरों की टीम ने पूरे रात दिन मेहनत करके बच्चे के शरीर का पूरा इंफेक्शन निकाला, जिससे बच्चे के स्वास्थ में सुधार आना शुरू हो गया। पूरे 22 दिनों के बाद कल 9 अप्रैल को डॉक्टरों की टीम ने बच्चे को पूरा स्वास्थ करके डिस्टार्च किया। अपने बच्चे को स्वस्थ देख माता-पिता बहुत खुश हैं और सभी डॉक्टरों को मिठाई खिलाकर धन्यवाद दिया। खुशी के कारण माता के आँख से आशु निकल रहा था, जिसे देख हॉस्पिटल में उपस्थित सभी लोगों ने डॉक्टरों के लिए ताली बजाकर सम्मान प्रकट किया।