संघ ने ऐसे स्कूलों पर अपराध दर्ज और कार्रवाई करने की मांग
दुर्ग। दुर्ग-भिलाई पालक संघ ने अध्यक्ष नासिर खोखर और महासचिव अधिवक्ता अनिल जयसवाल के नेतृत्व में सोमवार को कलेक्टर जनदर्शन में 13 प्राइवेट के खिलाफ शिकायत की है। संघ ने यह आरोप लगाया है कि इन स्कूलों ने गलत जानकारी व दस्तावेजों के आधार पर आरटीई के अधिकार में गरीब बच्चों को वंचित कर रखा है। साथ ही यह मांग भी की है कि आरटीई एक्ट के तहत प्रवेश नहीं देने वाले स्कूलों पर अपराध दर्ज किया जाए व उन स्कूलों में आरटीई के तहत वापस गरीब बच्चों को प्रवेश दिलाया जाए।
दुर्ग-भिलाई पालक संघ अध्यक्ष नासिर खोखर ने ज्ञापन के माध्यम से किए गए शिकायत में बताया है कि विगत 4 साल पूर्व तक जिले की सभी निजी शिक्षण संस्थाओं में आरटीई शिक्षा के अधिकार के तहत 25% बीपीएल परिवार की छात्रों का प्रवेश होता रहा था। लेकिन पिछले 4 सालों में कुछ शिक्षण संस्थाओं ने अपने आप को अल्पसंख्यक स्कूल बताकर गलत जानकारी व अनैतिक दस्तावेज प्रस्तुत कर अपनी शिक्षण संस्थाओं को आरटीई में गरीब बच्चों को प्रवेश देने से मुक्त कर लिया जो कि पूरी तरह गलत है। इनमे सेंट जेवियर बोरसी, सेंट जेवियर्स शांति नगर, मार बेसेलियोस भिलाई , सेंट थॉमस रूआबांधा, ज्योति विद्यालय चरोदा इंग्लिश, ज्योति विद्यालय हिंदी चरोदा, विद्या ज्योति इंग्लिश कुम्हारी और बैथनी विद्यालय बोरसी, निर्मला रानी खुर्सीपार,भिलाई पब्लिक स्कूल, विचक्षण विद्यापीठ, गांधी मेमोरियल नंदिनी नगर शामिल हैं। खोखर ने बताया कि स्कूलों ने अल्पसंख्यक आयोग से अल्पसंख्यक संस्था होने का प्रमाण प्राप्त कर संस्था को आरटीई से मुक्त कर लिया और जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा अधिनियम के विपरीत इन स्कूलों में आरटीई के प्रवेश बंद करना उनकी भूमिका समझ से परे है क्योंकि इन शिक्षण संस्थाओं को संचालित करने वाली संस्था अल्पसंख्यक है लेकिन यहां अध्यनरत बच्चे बहुसंख्यक व सभी समुदाय के लोग हैं ।
अधिवक्ता जायसवाल ने बताया कि शिक्षा के अधिकार के तहत आरटीई में अल्पसंख्यक स्कूल जिन स्कूलों में 75% एक ही समाज या विशेष समुदाय के बच्चे पढ़ते हो और उन्हें कोई विशेष भाषा की शिक्षा दी जाती हो जैसे मदरसा और वैदिक संस्थान उनको शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत मुक्त किया गया है । उस अधिनियम में कुछ स्कूलों ने गलत जानकारी देकर अपने आप को आरटीई से मुक्त किया है जबकि उन शिक्षण संस्था में विशेष समुदाय के स्टूडेंट ना होकर सभी समुदाय सभी जाति के छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं। इस तरह इन्होंने गलत प्रमाण और गलत जानकारी देकर अपने आप को आरटीई से मुक्त करवाया है और पिछले 4 सालों से इन संस्थाओं में गरीब बच्चे आरटीई के तहत प्रवेश से वंचित हो गए जोकि अधिनियम का खुला उल्लंघन और अपराध के समतुल्य है। इसलिए हम सभी उन गरीब वंचित छात्रों की ओर से मांग करते हैं कि इन शिक्षण संस्थाओं पर अपराध दर्ज किया जाए और कड़ी कार्रवाई करते हुए इन स्कूलों में इसी सत्र से आरटीई के तहत गरीब छात्रों को 25% आरक्षण के तहत प्रवेश दिलाई जाए। संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि जिलाधीश ने स्वयं आरटीई एक्ट की समीक्षा व जांच करने का आश्वासन दिया है। ज्ञापन के साथ उन स्कूलों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज की कॉपी भी संघ ने सौंपी है। ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रूप से अध्यक्ष नासिर खोखर, महासचिव अनिल जायसवाल, विवेक मिश्रा रविशंकर सिंह, ज्योति शर्मा, मो इलियास, कमलेश सिंह मो अकील सहित अन्य पालकगण उपस्थित रहे ।