पृथ्वी के 71 प्रतिशत हिस्से में पानी है लेकिन पीने लायक सिर्फ 3 प्रतिशत, यह भी कम होता जा रहा

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स्वरूपानंद महाविद्यालय में विश्व जल दिवस पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन

भिलाई। जल बचाओ…कल बचाओ, वृक्षों का रोपण…जल संकट का समापन, जल संरक्षण:जरूरत भी,कर्तव्य भी इत्यादि विषयों पर स्वरूपानंद महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग , राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, तथा ग्रीन ऑडिट कमिटी द्वारा तात्कालिक भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया l

कार्यक्रम संचालिका संयुक्ता पाढ़ी, विभागाध्यक्ष अंग्रेजी ने कहा कि यह दिन मीठे पानी के महत्व पर ध्यान केंद्रित करता है । विश्व जल दिवस के अवसर पर हम जल संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं और इन प्रतियोगिताओं के माध्यम से लोगों से देश के जल स्वच्छता संकट को स्वीकार करने तथा उसे दूर करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आग्रह करते हैं। 

बीएड द्वितीय सेमेस्टर से दीपिका कर प्रथम स्थान पर रही जिन्होंने कहा कि पृथ्वी के 71 प्रतिशत हिस्से में पानी है लेकिन इसमें से केवल 3 प्रतिशत पानी ही पीने लायक है। विश्व भर में आज भी लोग पीने के पानी के लिए तरसते हैं। जिस तरह से पीने लायक पानी पृथ्वी से कम होता जा रहा है, आने वाली पीढ़ी के लिए साफ और मीठा पानी बचा पाना मुश्किल हो रहा है।  बी एड द्वितीय सेमेस्टर से ही द्वितीय स्थान पर रही जयश्री ने कहा कि, घरेलू उपयोग में पानी का इस्तेमाल ज्यादा होता है और व्यवसाय में पानी की बर्बादी सबसे अधिक की जाती है । लोगों को पीने के लिए साफ और मीठा पानी नहीं मिल पाता जिसके कारण कई बीमारियां हो सकती हैं। तृतीय स्थान पर बीबीए द्वितीय सेमेस्टर से साक्षी जैन ने कहा कि हम सभी को जीवित रहने के लिए पानी की जरूरत है। जल के बिना पृथ्वी पर जीवन नहीं है।

महाविद्यालय प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने बताया कि यह पानी के उपयोग, संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने और वैश्विक जल संकट से निपटने के लिए एक साथ कार्रवाई करने का समय है, जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों के लिए ऐसी प्रतियोगिताओं का आयोजन करना अति आवश्यक है ।

महाविद्यालय सीओओ डॉक्टर दीपक शर्मा ने प्रतिभागियों का मार्गदर्शन एवं उत्साहवर्धन किया तथा विजेताओं को बधाइयां दी। तत्कालिक भाषण में मनजीत सिंह, सन्नी सिंह, दीप वर्मा, कुशाल, करण जैन, शेफाली इत्यादि ने भी जल के महत्व पर अपने अनमोल विचार प्रकट किए । कार्यक्रम को सफल बनाने में हितेश कुमार सोनवानी सहायक अध्यापक अंग्रेजी का विशेष योगदान रहा l


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