लता मंगेशकर से छत्तीसगढ़ी गीत गवाना मेरे जीवन का प्रण था: मदन शर्मा

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गीतकार संगीतकार मदन शर्मा ने परिचर्चा में दी अपनी कला यात्रा की जानकारी, लता मंगेशकर का उल्लेख कर हो गए भावुक

भिलाई। ललित कला अकादमी, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली के कार्यपरिषद सदस्य अंकुश देवांगन की पहल पर रविवार को मरोदा सेक्टर स्थित कला परिसर में एक विशेष परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर से एकमात्र छत्तीसगढ़ी गीत गवाने वाले प्रसिद्ध गीतकार-संगीतकार मदन शर्मा ने अपनी कला यात्रा के बारे में बताया।

शुरूआत में स्वागत भाषण देते हुए अंकुश देवांगन ने कहा कि कभी प्रसिद्ध संगीतज्ञ खुमान साव ने कहा था कि इनके हाथ से ढोलक बजता नहीं बोलता है। ऐसे गुणी गीतकार-संगीतकार मदन शर्मा की पहल से हम सभी छत्तीसगढ़वासियों को यह उपलब्धि हासिल हुई कि स्वर समाज्ञी लता मंगेशकर ने एकमात्र छत्तीसगढ़ी गीत को अपना स्वर दिया। मुख्य उद्बोधन में मदन शर्मा ने अपनी कलायात्रा पर विस्तार से बात की। भजन-कीर्तन व कला मंडली से लेकर बड़े बड़े मंचीय आयोजनों में ढोलक बजाने को लेकर अपने अनुभव बताए।

लता मंगेशकर का संदर्भ आने पर मदन शर्मा भावुक हो गए उन्होंने कहा-मैं यदि सरस्वतीपुत्र हूँ, तो लता दीदी से छत्तीसगढ़ी में अवश्य गीत गवाऊंगा, ऐसा मेरा प्रण था। फ़िल्म ‘भकला’ के स्क्रिप्ट राइटर प्रेम साइमन की सलाह पर मैंने एक कालजयी बिदाई गीत लिखा और उषा मंगेशकर की मदद से अंततः 22 फरवरी 2005 को हमें सफलता मिली। जब सरस्वती  की  अवतार  लता  मंगेशकर  अपनी  बहन  उषा  के  साथ  मेरा  गीत  गाने  स्वरलता स्टूडियो पहुंची। इस अवसर पर मदन शर्मा का शॉल व श्रीफल भेंटकर सम्मान किया गया। चित्रकार बृजेश तिवारी ने मदन शर्मा का मौके पर पोट्रेट बना कर भेंट किया। आयोजन में चित्रकार हरि सेन, भूपत राव बोरकर,साहित्यकार सहदेव देशमुख, प्रवीण कालमेघ, मेनका वर्मा, बीएल सोनी और प्रकाश शर्मा सहित अन्य उपस्थित थे।


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