समुद्र मंथन अमृत कलश महायज्ञ के वासुदेव साक्षी, इनसे हुई श्रीयंत्र की उत्पत्ति – संतश्री माताजी

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– तीर्थराज देवि निकुंभला, राजलक्ष्मी मंदिर, जय शक्ति आश्रम निकुम में 26 दिवसीय महायज्ञ हुआ प्रारंभ

– प्रतिदिन सुबह 11 से 1 बजे तक दी जा रही आहुति

मंत्रोच्चारण करते आश्रम प्रमुख संत श्री माता जी – महायज्ञ में आहुति देते श्रद्धालुगण

दुर्ग। तीर्थराज देवि निकुंभला, राजलक्ष्मी मंदिर, जयशक्ति आश्रम ग्राम निकुम संत श्री माता जी निवास में समुद्र मंथन अमृत कलश महायज्ञ की भव्य आगाज 22 जनवरी को हुआ। आश्रम प्रमुख संत श्री माताजी की उपस्थिति में कार्यक्रम की मुख्य अतिथि माया बेलचंदन जिला पंचायत सदस्य ने दीप प्रज्जवलित किया। जिसके पश्चात संत श्री माता जी के द्वारा मंत्रोच्चारण कर महायज्ञ प्रारंभ किया गया। प्रथम दिन संतश्री माताजी ने लगातार दो घंटे तक विभिन्न मंत्रो के माध्यम से देवी-देवताओं का आव्हान किया। वहीं छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं ने महायज्ञ में आहूति दे कर अपने जीवन को सफल किया। भक्तिमय संगीत में झूमते-नाचते श्रद्धालुओं ने यज्ञस्थल की परिक्रमा की, जिसके बाद महायज्ञ को आज के लिए विश्राम दिया गया। इस 26 दिवसीय महाआयोजन में प्रतिदिन सुबह 11 से 1 बजे तक नित्य आहुति दी जा रही है।

उल्लेखनीय है कि तीर्थराज देवि निकुंभला, राजलक्ष्मी मंदिर, जयशक्ति आश्रम ग्राम निकुम संत श्री माता जी निवास में अनवरत चलने वाले धार्मिक व अध्यात्मिक आयोजनों की श्रृंखला में 22 जनवरी से 16 फरवरी तक समुद्र मंथन अमृत कलश महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। संत श्री माता जी ने बताया कि 26 दिनों के लिए जजमानों की संख्या पूरी हो चुकि है, अतिरिक्त जजमानों की आवश्यक्ता नहीं है। समुद्र मंथन अमृत कलश महायज्ञ के संदर्भ में जानकारी देते हुए संत श्री माता जी ने बताया कि इस महायज्ञ में अद्भुत आकर्षण है ,काई दोष नहीं है। इसका मूलमंत्र श्रीं हीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम: है। संतश्री माताजी ने संदेश देते हुए कहा कि श्री लक्ष्मी कुबेर से कभी बैर नहीं करना, नहीं तो बहुत क्षति होती है। उन्होंने आगे कहा कि इसका आयोजन धन संवर्धन के लिए किया जा रहा है, क्योंकि आज सभी को धन संवर्धन करने की आवश्यक्ता है। महंगाई अपने चरम पर है, आने वाले समय के लिए भारत, छत्तीसगढ़ यह कहें तो सभी को धन संचय करना जरुरी है। संत श्री माता जी ने कहा कि समुद्र मंथन की तरह किसी के भी जीवन में कभी भी ज्वार भाटा आ सकता, उथल पुथल हो सकता है। लहरे किसी को तबाह भी कर सकती हैं और किसी का कल्याण भी कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि इस महायज्ञ से राज लक्ष्मी, राष्ट्र लक्ष्मी और विश्व लक्ष्मी की उत्पत्ति होगी, जिससे राज्य, राष्ट्र और पूरे विश्व का कल्याण होगा। संतश्री माताजी ने बताया कि इस महायज्ञ में जग जननी जय जय मां की आरती की जाती है, उन्हें आहुति नहीं दी जाती। इस महायज्ञ के वासुदेव जी साक्षी हैं, वासुदेव से ही श्री यंत्र की उत्पत्ति हुई है।

निकुंभला देवि की पावन नगरी है निकुम :-

संत श्री माता जी ने कहा कि छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले का पावन ग्राम निकुम, माँ निकुंभला देवि की पावन नगरी है। यहां पर तीर्थराज देवि निकुंभला मंदिर व नगरी निर्माण किया जाना है। 4 एकड़ मंदिर, 7 एकड़ परकोटा और 2.5 एकड़ परिसर भूमि चाहिए। इसकी लागत एक लाख एक हजार करोड़ रूपए होगी। इसी संकल्प को लेकर संत श्री माताजी द्वारा अनवरत प्रयास किया जा रहा है। 2025 में 1 जनवरी से 26 जनवरी तक राजसूय महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। संतश्री माता जी ने कहा कि उनका उद्देश्य छत्तीसगढ़ का नाम विश्व पटल पर बढ़ाना है।  

अंतिम दिन वीरभद्र का दुग्ध अभिषेक :-

आश्रम में भगवान वीरभद्र के मंदिर का निर्माण चल रहा है। महायज्ञ के अंतिम दिन दस हजार किलो दूध से भगवान वीरभद्र का अभिषेक किया जाएगा। संत श्री माता जी के मार्गदर्शन में सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक दुग्धाभिषेक होगा। इसी दिन दोपहर 2 बजे से रात 8 बजे तक प्रसिद्ध कलाकार दीपक चंद्राकर की टीम लोकरंग अर्जुंदा द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाएगी।

प्रशासन अच्छा काम कर रहा है :-

संत श्री माता जी ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोग शांत प्रवृत्ति के हैं। यहां पर लाठी चलती है, चाकूबाजी नहीं की जाती। आजकल जो चाकूबाजी की घटनाएं हो रही हैं वह बाहरी लोगों के प्रभाव के कारण है। वे लोग ये समझ लें की अगर छत्तीसगढ़ की शांत जनता भड़क गई तो वे कहीं के नहीं रहेंगे। संत श्री माता जी ने जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के कार्यों की सराहना करते हुआ कहा कि प्रशासन बहुत अच्छे से अपने दायित्व को निभा रहा है। वे स्वयं कलेक्टर व एसपी से मिलने उनके कार्यालय गए थे, सभी अच्छे से काम कर रहे हैं।


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