-मोबाइल क्लिनिक के लिए ऐसे हाट बाजारों का चिन्हांकन जो स्वास्थ्य केंद्रों से थोड़े दूर
दुर्ग। मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना में दुर्ग जिला पूरे प्रदेश में मोबाइल क्लिनिक के आयोजन में अग्रणी रहा है। जिले के हर एक हाट बाजार में औसत 93 लोग इलाज के लिए आ रहे हैं और बीते एक साल में दो लाख से अधिक लोगों ने यहां इलाज कराया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा जनकल्याण के लिए चलाई जा रही सर्वाेत्तम योजनाओं में से एक इस योजना के पीछे सोच यह रही है कि आमतौर पर लोग थोड़ा सा अस्वस्थ महसूस करने पर अस्पताल नहीं जाना चाहते, इस वजह से किये गये विलंब की वजह से कई बार बहुत देर हो जाती है और बीमारी गंभीर हो जाती है। इसी तरह बीपी और शुगर जैसी बीमारियां क्रमिक रूप से बढ़ती हैं और आरंभिक समय में इनके लक्षण हल्के होते हैं जिससे लोग इलाज आरंभ नहीं कराते और बाद में दिक्कत बढ़ जाती है।
पहले दवा छूट जाती थी अब बाजार के लिए आते हैं और यहीं से ले जाते हैं– नंदकट्ठी के ग्रामीण बलदाऊ साहू ने बताया कि पहले बीपी की दवाई लेने शहर जाना पड़ता था। कई बार कुछ काम की वजह से फंस जाने के कारण समय पर नहीं पहुंच पाते थे जिससे बीपी की दवाई नियमित रूप से नहीं ले पाते थे। अब हाट बाजार में दवा भी ले जाते हैं किसी तरह की कोई समस्या नहीं आ रही। यहां पर नियमित बीपी भी चेक हो जाता है। इससे मन में संतोष बना रहता है।
शुगर भी हो रहा चिन्हांकित- सीएमएचओ डॉ. जेपी मेश्राम ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल हाट बाजार के आयोजन से आरंभिक रूप में बीपी और शुगर चिन्हांकित हो रहे हैं। जल्द ही इन बीमारियों का चिन्हांकन हो जाने से इसका त्वरित इलाज भी आरंभ हो जाता है। मोबाइल क्लिनिक में शुगर की आरंभिक स्क्रीनिंग की जाती है और इसके बाद इसके आगे की स्क्रीनिंग के लिए मरीज को निकटतम स्वास्थ्य केंद्र भेजा जाता है।
मोतियाबिंद का भी हुआ चिन्हांकन और ऑपरेशन भी हो गया- पाटन के बीएमओ डा. आशीष शर्मा ने बताया कि मोबाइल क्लिनिक के माध्यम से आंखों की तकलीफ भी दूर हो रही है। हाट बाजार में आये लोग आंखों की रोशनी भी चेक कराते हैं। झीठ की एक ग्रामीण महिला का ऐसा ही प्रकरण आया। उनका मोतियाबिंद चिन्हांकित हुआ और कुछ ही दिनों के बाद उनका सफलतापूर्वक आपरेशन भी कर दिया गया।
8 प्रकार के जांच होते हैं- मोबाइल टीम द्वारा 8 प्रकार के जांच किये जाते हैं अर्ली डाइग्नोस के लिए यह सेंटर प्रमुख भूमिका निभाते हैं। जहां पर संदिग्ध बीमारी की आशंका होती है वहां हायर सेंटर में रिफर कर दिया जाता है। एनीमिया जैसी समस्या के लिए भी यह क्लिनिक काफी असरदार साबित हुए हैं क्योंकि इसमें समय-समय पर दवा के असर का आसानी से मूल्यांकन हो जाता है।