रौनक जमाल, कैलाश बरमेचा, मुमताज सहित अन्य ने किया रचनाओं का पाठ
दुर्ग। खिराजे अकीदत उस्तादुलशोरा मरहूम शेख निजाम राही साहब का आयोजन केलाबाड़ी में किया गया गया। पार्षद मो.हमीद खोखर के कार्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में शायर/कवि नवेद रज़ा दुर्गवी, नौशाद सिद्दीकी, हाजी ताहिर साहब और राही साहब के शार्गिदों के द्वारा खिराजे अकीदत और नशिस्त का प्रोग्राम किया गया। इस कार्यक्रम की सदारत हिन्दुस्तान के मशहूर आफसाना निगार हाजी रौनक जमाल सहाब, मेहमाने खुसीसी कैलाश बरमोचा साहब, अब्दुस्सलाम कौसर साहब राजनाँदगाँव, अन्तर्राष्ट्रीय शायर मुमताज साहब, और राही साहब के बेटे अजीमुद्दीन शेख, बेटी रशीदा अंजुम, पोते मो.अदील शेख ये तमाम अजीज मंच पर बैठ कर रौनकें बज्म़ बने। आयोजक शायर नवेद रज़ा दुर्गवी के द्वारा पहले नाअत पाक से प्रोग्राम का आगाज किया गया और जीवनी पढ़ी गई । मंच का संचालन जनाब मो.अबुतारिक के द्वारा किया गया। इसके पश्चात इस महफिल में पचास से साँठ अदबी शख्सियतों ने खिराजे अकीदत पेश व अपनी अपनी यादों को इनके साथ बिते लम्हों को रखा। उन्होंने बताया कि राही साहब लोगों को जोड़ने की एक अद्भूत कला के धनी थे। ऐसी ही कई बातों को साझा किया गया जिसनके आँखों का को नम करने के साथ कई यादों को ताजा किया।
दूसरे सत्र में नशिस्त/काव्य गोष्ठी की गई, इसमें भी तमाम सुखनवरो/ग़ज़लकार, कवियों, कवित्रियों ने अपने अपने कलाम पढ़ें, मगर नये युग के जमाने की टेक्नोलॉजी के जरिए नौशाद सिद्दीकी ने निजाम राही का कलाम फोन से सुना कर उन्हें बज्म़ में हाजिर कर दिया, जिसें सुनकर सभी को ऐसा लगा कि फिर से वे कलाम पढ़ रहे हों। कार्यक्रम के अतिथि कैलाश बरमेचा साहब ने अपनी श्रध्दाँजलि दी। साथ ही अपनी कुछ पक्तियों का काव्य पाठ किया। हाजी ताहिर साहब ने भी कुछ कलाम पढ़ा, शायर नवेद रज़ा दुर्गवी ने राही साहब के एक मिशरे पर नयी लिख कर पूरी ग़ज़ल पढ़ी, मुख्य रूप से ग़ज़ल पढ़ने वालों में रियाज गौहर, अबूतारिक, अब्दुल एजाज़ बशर, अलोक नारंग युसुफ सागर, नीता कम्बौज, अब्दुस्सलाम कौसर, ड़ॉ. संजय दानी, नभनीर हंस, सांकेत रंजन प्रवीर इस्रराईल बेग शाद, गणेश गंधावी, शुचिः भवि शामिल थे। वहीं राही साहब की मुहबोली बेटी शागिर्दा नीलम जायसवाल बहन,अनुराधा बक्शी, माला सिंह, धनश्याम सोनी, राजकुमार चौधरी बैकुंठ महानंद, सुशील यादव, नरेन्द्र देवाँगन, ओमप्रकाश जायसवाल, प्रदीप पाण्डेय, कलावती देवी, एम एल ठाकुर, आदि ने अपनी रचनाओं को पढ़ कर भावविभोर किया। धन्यवाद ज्ञापन नीलम जायसवाल ने किया।