मुख्यमंत्री बघेल सहित तीजहारिनों ने सराहा दुर्लभ गहनों के संग्रह को
भिलाई। तीजा-पोरा पर्व पर राजधानी रायपुर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का निवास छत्तीसगढ़ की माताओं-बहनों के नाम रहा। प्रदेश भर की माताओं-बहनों के लिए पूरा सीएम हाउस छत्तीसगढ़ी कला-संस्कृति के रंग में रंगा हुआ था। यहां पूरे परिसर को छत्तीसगढ़ की पारंपरिक पहचान दी गई थी।
यहां एक विशेष खंड छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गहनों का था। यह पूरा खंड प्रसिद्ध लोकवाद्य संग्राहक रिखी क्षत्रिय ने समूचे छत्तीसगढ़ से घूम-घूम कर संग्रहित किए गए पुराने दुर्लभ एवं वर्तमान चलन के छत्तीसगढ़ी गहनों से सजा था। यहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अलावा पहुंचने वाली प्रदेश भर की महिलाओं ने रुक कर इन गहनों को देखा और तारीफ की। मुख्यमंत्री बघेल ने रिखी के संग्रह की सराहना करते हुए कहा कि इतने दुर्लभ गहने संग्रह करना भी बेहद परिश्रम व लगन का काम है। इन गहनों से छत्तीसगढ़ की समृद्धि और यहां की समृद्ध परंपरा का पता लगता है। उल्लेखनीय है कि रिखी ने यहां बस्तर से लेकर सरगुजा अंचल तक के तमाम जिलों में प्रचलित गहनों का संग्रह प्रदर्शित किया था।
रिखी ने बताया कि उनके संग्रह किए गहनों में बस्तर की पैड़ी (इत्ता पुल्ला) प्रमुख है, जिसे पैरों में पहन कर वहां की युवतियां परब नृत्य करती हैं। जिसमें इसे आपस में टकरा कर आवाज निकालती हैं। इसी तरह महिलाएं गोभी फुल्ली पहनती हैं जो गोभी के फूल के आकार की होती है। गले में चाप-सिरी पहनती हैं जो सोने की बनी होती है। बाहटा गहना बस्तर में जिसे देवी आती है वह अपने दोनों बाहों में पहनते हैं। यह गोल रिंग नुमा दो रिंग जुड़ा हुआ होता है। इसमें झालर जैसी लड़ियां लगी होती हैं। पैरों की उंगलियों में पहनी जाने वाली बिछिया भी बहुतायत है। वहीं चांदी का चूड़ी जैसा बना हुआ पटा भी एक आभूषण यहां प्रदर्शित है, जिसे विधवा महिला हाथों में पहनती थी। रिखी के साथ इस प्रदर्शनी में सहयोगी के तौर पर रानी साहू व साधना उपस्थित थीं और पारंपरिक गहनें पहने हुई थीं।