– स्वास्थ्य विभाग की जांच हुई पूरी, कार्रवाई के लिए कलेक्टर कार्यालय भेजी रिपोर्ट
– फूड प्वाइजनिंग का मामला, सीएमचओ डॉ जेपी मेश्राम ने की कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा
– जांच रिपोर्ट में हॉस्टल में अव्यस्था और प्रबंधन की लापरवाही का जिक्र
– विभिन्न संगठनों ने भी की थी हॉस्टल प्रबंधन पर एफआईआर दर्ज करने की मांग
दुर्ग। स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट में रस्तोगी नर्सिंग कॉलेज में अव्यवस्था और लापरवाही का खुलासा होने के बाद पुलिस ने कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया है। स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट में आधार पर स्मृति नगर थाने में धारा 265, 270, 353, 304 ए के तहत अपराध कायम किया गया है। इसके साथ ही पुलिस ने फूड प्वाइजनिंग की शिकार हुई मृतक छात्रा के परिजनों का भी बयान लिया है। बता दें की फूड पॉयजनिंग के मामले की जांच कर रही जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अपनी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी थी। रिपोर्ट में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कॉलेज प्रबंधन की अव्यवस्था और लापरवाही का उल्लेख करते हुए कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की थी। जिसके बाद पुलिस ने कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ यह कार्रवाई की है।
गौरतलब है कि रस्तोगी नर्सिंग कॉलेज के हॉस्टल वी में रहने वाली लगभग 60 छात्राओं को फूड प्वाइजनिंग होने का खुलासा सोमवार को हुआ था। वह भी तब बड़ी संख्या में उल्टी दस्त की शिकायत से परेशान छात्राओं को इलाज के हाईटेक अस्पताल में भर्ती कराया गया। जबकि छात्राओं को इस तरह की शिकायत चार दिन पहले से हो रही थी। कॉलेज प्रबंधन ने इसकी जानकारी भी जिला स्वास्थ्य विभाग को नहीं दी थी। जब मामला कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा के संज्ञान में आया तो वे छात्राओं का हाल जानने हाईटेक अस्पताल पहुंचे और सीएमएचओ डॉ जेपी मेश्राम को हॉस्टल की जांच करने निर्देशित किया। इसके बाद सीएमएचओ डॉ मेश्राम के नेतृत्व में स्वाथ्य विभाग और नगर निगम भिलाई के स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम ने रस्तोगी कॉलेज का निरीक्षण किया और वहां के हालात देखे।
जानिए क्या कुछ है रिपोर्ट में :
जिला स्वास्थ्य विभाग की जांच में यह बात सामने आई कि कि जिन छात्राओं को उल्टी दस्त की शिकायत हुई वे सभी वी 1 हॉस्टल की हैं। यहां तक बालोद निवासी 19 वर्षीय छात्रा जिसकी मौत 31 जुलाई को हुई वह भी इसी हॉस्टल में रहती थी। अन्य 6 हॉस्टलों के प्रशिक्षु बच्चों को स्वास्थ्य से संबधित किसी भी तरह की शिकायत नहीं हुई है। जिससे यह प्रतित होता है कि वी 1 हॉस्टल में आरओ एवं वॉटर कूलर तथा ओव्हर सिनटेक्स जो पानी पीने के लिए उपयोग में लाया जाता था वह संक्रमित हो सकता है। जांच टीम ने इनके पानी का सैंपल सोमवार को जांच के लिए लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग दुर्ग के लैब भेजा था जिसकी रिपोर्ट आना अभी बाकी है। वहीं स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम को अस्पताल में भर्ती छात्राओं ने चर्चा के दौरान बताया था कि मेस के खाने की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। पुराने वाटर कूलर से पानी पीने के लिए उपयोग किया जाता था किंतु आरओ को नहीं बदला गया। छात्राओं के बीमार पड़ने के बाद नया आर ओ फिल्टर लगाया गया। अत: टीम की जांच में यह पाया गया कि छात्राओं के द्वारा पेयजल एवं मेस के भोजन के संबंध में बार बार शिकायत करने के बाद भी हॉस्टल प्रबंधन द्वारा सुधार नहीं किया गया, जो हॉस्टल प्रबंधन की अव्यवस्था और लापरवाही को दर्शाता है।
दूसरे दिन भी पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम
सीएमएचओ डॉ जेपी मेश्राम लगातार छात्राओं के स्वास्थ्य को लेकर अपडेट ले रहे हैं। सीएमएचओ के निर्देश पर स्वाथ्य विभाग की टीम ने दूसरे दिन मंगलवार को भी हाईटेक अस्पताल पहुंच कर छात्राओं के स्वास्थ्य की जानकारी ली। सीएमएचओ डॉ मेश्राम ने बताया कि वर्तमान में 51 छात्राएं उपचाररत हैं और हाईटेक अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें जानकारी दी है कि सभी खतरे से बाहर हैं। डॉ मेश्राम ने बताया कि भर्ती मरीजों के स्टूल सैंपल भी कल्चर जांच के लिए भेजे गए हैं। इसके साथ ही खाद्य आपूर्ती अधिकारी द्वारा हॉस्टल के भोजन सैंपल भी जांच हेतु भेज गए हैं, रिपोर्ट अभी आई नहीं है।